नगीना का काष्ठकला उद्योग विश्व प्रसिद्ध है। अमेरिका से लेकर अरब देशों को यहां का बना लकड़ी का सामान और ज्वैलरी का सामान पसंद किया जाता है। नगीना के इस कारोबार से करीब पांच हजार लोग जुड़े हैं। यहां 20 से 25 उत्पादन की बड़ी यूनिट है। इन यूनिटों में मजदूर व कारीगर प्रतिदिन मजदूरी पर कार्य करते हैं।
नगीना क्राफ्ट डेवलेपमेंट सोसायटी के अध्यक्ष इरशाद अली मुलतानी बताते हैं कि नोट बंदी के कारण मजदूरों का पेमेंट नहीं हो पा रहा है। नतीजतन मजदूर परेशान हैं और उत्पादकता पर भी असर पड़ रहा है। उनका यह भी कहना है कि जो निर्यातकों से उन्हें आर्डर मिले हैं, उनको पूरा करने के लिए उनके कच्चा माल खरीदने के लिए परेशानी उठानी पड़ रही है यदि समय रहते ऑर्डर पूरे नहीं हुए और निर्यातकों को माल नहीं भेजा जा सका तो इस उद्योग की कमर टूटने की संभावना है। उधर, दिल्ली के प्रगति मैदान में 17 नवंबर से चल रहे अंतरराष्ट्रीय ट्रेड फेयर में नगीना के युवा काष्ठकला उद्यमी फैजान अली, असलम, शुएब अहमद ने बताया कि नोट बंदी के कारण ट्रेड फेयर का कारोबार बिल्कुल चौपट है।
पिछले वर्षों में काष्ठकला के प्रोडक्ट खरीदने वालों का कारोबार प्रतिदिन 20 से 25 हजार होता है। नोटबंदी के चलते प्रतिदिन पांच हजार तक भी नहीं पहुंच पा रहा है। जिसके कारण काफी नुकसान होने की संभावना है।
दिन भर हाथ पर हाथ धरे बैठना पड़ रहा है। काष्ठकला के युवा कारोबारी प्रधानमंत्री को ओर अपनी निगाहें लगाए बैठे हैं कि कभी तो नगीना के काष्ठकला उद्योग को बढ़ावा मिलेगा। हालांकि कई और उद्योग इस नोटबंदी के कारण प्रभावित हुए हैं। बाजार में नोट नहीं होने के कारण लेनदेने नहीं होने से कामकाज ठप है।