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नगीना। क्षेत्र में बुखार तेजी से फैल रहा है। हर गांव में लोग बुखार की चपेट में हैं। ऐसे में अब कस्बे के एक युवक में डेंगू की पुष्टि हो गई है।

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इंसानों के लिए मानसिक स्वास्थ्य उतना ही जरुरी है जितना की एक स्वस्थ शरीर का होना। भारतीय बुजुर्ग हमेशा से कहते आये हैं की “एक स्वस्थ शरीर में ही एक स्वस्थ मन का निवास होता है !” साथ ही समय पर भोजन करने, समय पर सोने और जागने पर भी महत्व दिया जाता रहा है।

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नूर ऑप्टिकल्स एण्ड आई केयर सेंटर के स्वामी मुज़म्मिल अज़ीम ने बताते हुए कहा है कि दिनांक 12 दिसंबर को एक दिवसीय ऑप्टिकल्स एंड आई केयर सेंटर द्वारा निकट बैंक ऑफ बड़ौदा के बराबर में आई केयर सेंटर पर एक निशुल्क नेत्र जांच शिविर कैंप का आयोजन किया जा रहा है।

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कोरोना ने सभी लोगों की जिदगी में उथल-पुथल मचाई हुई है, जिससे लोगों की जीवन शैली में परिवर्तन आया है। कामकाजी लोग वर्क फ्रॉम होम तो छात्र ऑनलाइन पढ़ाई में लगे हुए हैं।

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 लाख कोशिशों के बाद भी दूध में मिलावट करने वाले बाज नहीं आ रहे हैं। दूध में पानी की मिलावट उसकी शुद्धता को प्रभावित करती है।

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नगीना। एक उद्यमी ने प्राइवेट चिकित्सक पर बेटे के इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप लगाया। उन्होंने प्राइवेट चिकित्सक को अपने बेटे की मौत का जिम्मेदार ठहराते हुए चिकित्सक के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई है।

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 swine flu in bijnor

कोतवाली देहात। गांव राजोपुर सादात की एक महिला को गाजियाबाद के एक निजी अस्पताल ने स्वाइन फ्लू की पुष्टि की है। महिला कई दिनों से बुखार, जुकाम और खांसी से पीड़ित थी। स्वाइन फ्लू की पुष्टि होने के बाद स्थानीय ग्रामवासियों भय है। महिला का मेडिकल कॉलेज में उपचार चल रहा है।

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tea india

चाय के शौकीन लोग, चाय पीने के लिए वक्त नहीं देखते. सुबह का नाश्ता हो या रात का खाना उन्हें हर समय चाय चाहिए. लेकिन इस आदत को जितना जल्दी हो सके बदल डालिए, क्योंकि इससे सेहत को गंभीर नुकसान हो सकता है.

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deaf

वॉशिंगटन: बड़ों से लेकर बच्चों तक के कानों में आपने ईयरफोन्स लगे तो देखा ही होगा। तेज़ आवाज में गाने सुनना, टी.वी देखना कई बच्चों की आदत बन चुका है। इसके चलते वे टिनीटिस (कान में लगातार गूंजती आवाज) की समस्या से जूझ रहे हैं। यह बहरेपन का लक्षण होता है। एक नए अध्ययन से पता चला है कि इन लक्षणों को प्रारंभिक चेतावनी के तौर पर लेना चाहिए, क्योंकि इनका सामना कर रहे युवाओं को बहरेपन का गंभीर खतरा है।

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fever health monsoon

नई दिल्ली: मानसून में होने वाला बुखार भ्रम पैदा कर सकता है कि मलेरिया है या डेंगू, चिकनगुनिया है या पीलिया या टायफायड, क्योंकि इन सभी के लक्षण मिलते-जुलते रहते हैं। हां, मानसून के बुखार में एस्प्रिन नहीं देनी चाहिए, क्योंकि कई किस्म के बुखार में प्लेटलेट्स की संख्या घटने लगती है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) के मानद महासचिव पद्मश्री डॉ. के.के. अग्रवाल ने कहा कि अगर मानसून में बुखार हो तो इन बातों का ध्यान रखें :-

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