मेले का सर्वोच्च सम्मान प्राप्त कर मतलूब ने नगीना का नाम रोशन किया। नगीना पहुंचने पर नगीना क्राफ्ट डेवलेपमेंट सोसायटी उन्हें सम्मानित करेगी।
नगीना के मुहल्ला लुहारी सराय निवासी मुहम्मद अय्यूब के बेटे मुहम्मद मतलूब ने मुगलकालीन कला को अपने हुनर से संजोया है। उनकी लकड़ी पर की गई नक्काशी की कला पूरे विश्व में एक अलग पहचान बन चुकी है। इस कला के लिए उन्हें कुवैत में वर्ड क्राफ्ट काउंसलिंग द्वारा भी सम्मानित किया जाएगा। इसकी सूचना उन्हें प्राप्त हो चुकी है।बता दें मुहम्मद मतलूब ने पांच वर्ष की आयु से ही नगीना निवासी ताऊ अब्दुल रहमान से इस कला की बारीकियां सीखना शुरू कर दी थीं। उन्होंने बताया कि वर्ष 2002 में उन्हें स्टेट अवार्ड, 2003 में नेशनल मेरिट अवार्ड, 2005 में नेशनल अवार्ड, 2006 में इंटरनेशनल यूनेस्को अवार्ड, 2012 में झांकी सम्मान, 2014 में कला मणि पुरस्कार, 2015 में परंपरागत पुरस्कार तथा 2017 में पुन: परंपरागत मेले के समापन पर नवाजा गया। मेला 1 से 15 फरवरी तक चला। उन्होंने बताया कि इस मुगलकालीन कला को जीवित रखने के लिए वे आईआईटी कानपुर, रुड़की, उड़ीसा, मुंबई के छात्रों को टिप्स दे चुके हैं । उन्होंने इंग्लैंड, ओमान, इटली, श्रीलंका, बेल्जियम आदि देशों में प्रदर्शन करके नगीना की इस कला को जिंदा रखा है। इस कला में रोजवुड, संदलवुड की लकड़ी का प्रयोग किया जाता है, क्योंकि यह लकड़ी मुलायम होती है।