सरायमीर के प्राइमरी विद्यालय में कुल 22 बच्चे पंजीकृत हैं। यहां केवल सदिया शहनाज ही शिक्षिका के रूप में तैनात हैं। कई साल पहले जर्जर स्कूल भवन के कमरे एक-एक कर ढहते चले गए लेकिन, शिक्षा विभाग के हाकिमों ने सुध नहीं ली। प्रधान अध्यापिका सदिया शहनाज पिछले चार साल से जमींदोज भवन परिसर में बच्चों की क्लास चला रही हैं। दोपहरी हो या कड़ाके की ठंड, पाठशाला खुले आसमान के नीचे चलती है। बारिश तो यहां के लिए बला बन जाती है। कोई छत न होने से बच्चों की छुट्टी करने के बाद शिक्षिका दूसरे स्कूल में ड्यूटी बजाती हैं। विद्यालय में बच्चों के लिए शौचालय व पेयजल के लिए हैंडपंप की कोई व्यवस्था नहीं है। विद्यालय की पहचान के लिए एक दीवार पर स्कूल भवन सरायमीर जरूर लिखा है। वैसे तो सरकार प्राथमिक शिक्षा के नाम पर पैसा पानी की तरह बहा रही है, लेकिन स्कूल का भवन आज तक नहीं बना। हैरानी की बात यह है कि पूर्ववर्ती सरकार में नगीना के एक 'माननीय' मंत्री भी रहे। उन्हें भी स्कूल के बच्चों पर तरस नहीं आया। प्रधान अध्यापिका का कहना है कि यह स्कूल कई सालों से इसी तरह चल रहा है। कई बार बीईओ के माध्यम से उच्चाधिकारियों को स्कूल भवन का निर्माण कराने के लिए रिपोर्ट भेजी गई। लेकिन अभी तक हुआ कुछ नहीं।