उत्तराखंड के पौड़ी जिले के थाना लक्ष्मणझूला क्षेत्र में 2013 में बिजनौर के जिला पंचायत सदस्यों के अपहरण सहित विभिन्न धाराओं में केस दर्ज हुआ था। आरोप था कि 17 जनवरी 2013 की रात को लक्ष्मणझूला के एक होटल में ठहरे जिला पंचायत सदस्यों के कमरों में जबरन घुसकर उनके साथ मारपीट व गालीगलौज की गई। इस मामले में कोर्ट ने सपा विधायक मनोज पारस के खिलाफ वारंट जारी कर रखे थे। उत्तराखंड पुलिस मनोज पारस की गिरफ्तारी के लिए दबिश दे रही थी। मंगलवार को मनोज पारस ने सीजेएम पौड़ी की अदालत में सरेंडर करते हुए जमानत याचिका प्रस्तुत की। नामित अधिवक्ता जय दर्शन बिष्ट ने बताया कि विधायक के विरुद्ध गैर जमानती वारंट जारी हुए थे। कोर्ट ने जमानत अर्जी खारिज कर मनोज पारस को न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया है। इसी मामले में इससे सपा सरकार में मंत्री रहे मूलचंद चौहान, उनके बेटे अमित चौहान, कपिल, रजा अली परवेज, पूर्व जिलाध्यक्ष राशिद हुसैन, शेरबाज पठान, पूर्व सपा सांसद नगीना यशवीर धोबी, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष नसरीन सैफी के पति रफी सैपी आदि सपा नेताओं को भी कोर्ट में सरेंडर करना पड़ा था। इन सभी को भी कोर्ट ने जेल भेज दिया था। बाद में ये सब जमानत पर छूटकर जेल से बाहर आए थे। अपहरण के मामले में पुलिस को चकमा देकर घूम रहे थे मनोज पारस बिजनौर। नगीना के सपा विधायक मनोज पारस बाकी सपा नेताओं के साथ चार साल पहले ऋषिकेश के एक रिसोर्ट से हुए 18 जिला पंचायत सदस्यों के मामले में फंस गए थे। मनोज पारस लंबे समय से पुलिस को चकमा दिए घूम रहे थे। पुलिस का लगातार दबाव पड़ने पर मनोज पारस को कोर्ट में आत्मसमर्पण करना पड़ा। वर्ष 2013 में जिला पंचायत के उपचुनाव में सपा प्रत्याशी नसरीन सैफी व विजयवीरी चुनाव लड़ रही थीं। विजयवीरी अपने पाले में जिला पंचायत सदस्यों को करके नसरीन सैफी की हालत पतली कर दी थी। विजयवीरी ने अपने पाले के 18 जिला पंचायत सदस्यों को उत्तराखंड के ऋषिकेश में शिवा रिसोर्ट में छिपाकर रख रखा था। सत्ता की हनक में सपा सरकार में तत्कालीन मंत्री मूलचंद चौहान, पूर्व सांसद यशवीर सिंह, पूर्व जिलाध्यक्ष राशिद हुसैन, नगीना के विधायक मनोज पारस, नसरीन सैफी पति रफी सैफी, जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष अमित चौहान, जिला पंचायत सदस्य कतिल व रजा अली परवेज ने रिसोर्ट पर धावा बोलकर 18 सदस्यों का अपहरण कर लिया था। रिसोर्ट पर खूब उत्पात मचाया था। विजयवीरी पक्ष के तमाम लोगों के साथ मारपीट की गई थी। मंत्री व बाकी सपा नेताओं के गनरों तक ने रिसोर्ट में मौजूद लोगों को पीटा था। इस मामले में विजयवीरी के पति छत्रपाल सिंह ने ऋषिकेश में लक्ष्मण झूला थाने में घटना की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। सत्ता की हनक में सपा नेताओं ने अपनी जमानत नहीं कराई और इस मामले में लीपापोती करने में जुटे रहे। छत्रपाल सिंह ने हाईकोर्ट नैनीताल का दरवाजा खटखटाया था। कोर्ट ने सभी आरोपियों के गिरफ्तारी वारंट जारी किए। उत्तराखंड में भाजपा की सरकार बनने के बाद पुलिस हरकत में आई और अपहरण के आरोपियों की तलाश में जुट गई। पुलिस ने विधायक मनोज पारस को छोड़कर पूर्व मंत्री मूलचंद चौहान समेत सभी आरोपियों को दबोच लिया था। मूलचंद चौहान, राशिद हुसैन, शेरबाज पठान को डेढ़ महीन तक सलाखों के पीछे रहना पड़ा। इसके बाद उनकी जमानत हुई। मनोज पारस पुलिस के हाथ नहीं लगे। उत्तराखंड व यूपी पुलिस मनोज पारस की तलाश में लगातार दबिश दे रही थी। पुलिस का दबाव बढ़ता देख मनोज पारस को कोर्ट में आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर होना पड़ा।