बताया जाता है कि नजीबाबाद के जाब्तागंज निवासी शीशराम 2007 में नजीबाबाद से चुनाव लड़कर विधायक बने और सरकार होने के बावजूद पांच साल तक बड़ी सादगी व ईमानदारी से अपना कार्यकाल पूरा किया लेकिन नजीबाबाद सीट सामान्य हो जाने के कारण बसपा ने 2012 में उनका टिकट काटकर तसलीम अहमद को प्रत्याशी बनाकर चुनाव जीता डाला, इसके बावजूद शीशराम ने निष्ठा का परिचय देकर बसपा के साथ काम किया तथा 2014 के चुनाव में उन्हें बसपा मुखिया द्वारा नगीना लोकसभा से चुनाव लड़ने को हरी झण्डी दी गयी लेकिन यहां से भी उन्हें हटाकर चंदौसी विधायक रहे ग्रीश चन्द को प्रत्याशी घोषित किया गया इसके बावजूद शीशराम ने ग्रीशचन्द को पूरी मेहनत व ईमानदारी से चुनाव लड़ाया लेकिन बसपा की लहर न होने के कारण ग्रीश भी लोकसभा का चुनाव हार गये अब शीशराम सिंह 2017 के लिए नगीना से चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन बसपा ने पूर्व विधायक रामेश्वरी के बेटे को प्रत्याशी घोषित कर दिया इसके बावजूद शीशराम सिंह ने कोई हाय तोबा नहीं की, परन्तु पूर्व विधायक के बेटे हर दिशा में कमजोर साबित हुये जिस कारण बसपा मुखिया ने अपने पूर्व विधायक पर दांव लगाना उचित समझा और बुधवार को नगीना के एक बैंकेट हाल में बाकायदा कार्यक्रम का आयोजन करके 2017 के लिए चुनाव लड़ाने की घोषणा कर दी, जिस कारण कई दलों से दावा करने वालों के घरों में तो मातम छा गया और बसपा के पुराने लोग फूले नहीं समा रहे है। बसपा का यह कदम मिशन 2017 में मील का पत्थर माना जा रहा है। बताया जाता है कि पूर्व विधायक का नजीबाबाद क्षेत्र आधे से ज्यादा नगीना में आ जाने के कारण उनकी इस विधानसभा में मजबूत पकड़ है और दलित पिछड़े मुस्लिम सहित काफी लोग उनकी ाादगी व व्यवहार कुशलता के कारण उन्हें विधायक देखना चाहते हैं।