रेल अधिकारियों की चूक ने नजीबाबाद-कोटद्वार ब्रांच लाइन पर सूकरो नदी पर बना रेल पुल जुलाई 2016 में ध्वस्त हो गया था। राष्ट्रीय संपत्ति को बड़ी क्षति के बाद रेलवे को करोड़ों रुपये की लागत से पुल बनाना पड़ा था। इस दौरान ट्रेनों का संचालन बंद रहने से रेलवे की करोड़ों रुपये की आय भी प्रभावित हुई। इतनी बड़ी घटना से भी किसी ने सबक नहीं लिया। रेल अधिकारियों को शायद फिर किसी बड़ी घटना का इंतजार है।
नजीबाबाद से कोटद्वार के बीच करीब 24 किलोमीटर लंबे रेल ट्रैक पर कई प्वाइंट ऐसे हैं, जहां रेलवे ट्रैक धरातल पर ही रखा है। इतना ही नहीं, कहीं-कहीं तो सीमेंटेड स्लीपर के नीचे से मिट्टी तक खिसकी हुई है। रेल यात्रियों सुरेंद्र, सचिन, ओमपाल का कहना है कि ट्रेन जब किसान सहकारी चीनी मिल के पास से कुछ किलोमीटर तक गुजरती है, तो उन्हें ट्रेन में कंपन के साथ ज्यादा शोर सुनाई देता है। किसान सहकारी चीनी मिल क्षेत्र में हाईवे के समानांतर गुजरने वाली रेल लाइन पार अंबेडकर कालोनी है। कालोनी के लोगों से जानकारी करने पर पता चला कि रेलवे द्वारा क्षेत्र में पत्थर की रोड़ी डाली ही नहीं गई। जब कभी उनके सामने से ट्रेन गुजरती है, तो उनकी सांसें अटकी रहती हैं।
रेलवे के एडीईएन करनप्रीत सिंह ने माना कि कोटद्वार ब्रांच लाइन पर किलोमीटर 4 से किलोमीटर 8.5 तक रेल ट्रेक पर रोड़ी का अभाव है। जहां कही रोड़ी है, तो मानक से कम है। ट्रेनों के सुरक्षित आवागमन के लिए यहां से गुजरने वाली ट्रेनों की गति 20 किलोमीटर प्रति घंटा तक सीमित की गई है। एडीईएन ने स्वीकार किया कि रेल ट्रेक के नीचे रोड़ी न बिछी होने से फलेक्सीबिलिटी (लचीलापन) खत्म हो जाता है। जिससे ट्रेन गुजरने के दौरान लोड सीधे तौर पर स्लीपर पर आता है, जो कि नहीं आना चाहिए। एडीईएन ने रोड़ी मिलते ही सभी प्वाइंटों पर रोड़ी डलवाने की बात कही।
रेलवे ट्रैक से गुजरने वाली ट्रेनें
नजीबाबाद। कोटद्वार ब्रांच लाइन से कोटद्वार-दिल्ली के बीच चलने वाली मसूरी एक्सप्रेस और गढ़वाल एक्सप्रेस ट्रेन के अलावा दिन भर में चार पैसेंजर ट्रेनें गुजरतीं हैं। सिंगल लाइन होने के कारण इन ट्रेनों का आवागमन रोड़ी रहित रेलवे ट्रैक से ही होता है।