बदले समीकरणों में पहली बार चुनाव होगा। नए गांव जुड़ने से जाट मतदाताओं की संख्या भी बढ़ गई है और इनके करीब 15 हजार वोट इस बार निर्णायक स्थिति में होंगे।
- 13 गांव की आबादी शामिल होने से मतदाताओं की संख्या में हुआ इजाफा
- 1.33 लाख मतदाता तय करेंगे किसकी बनेगी बिजनौर शहर में सरकार
- 15 हजार जाट मतदाता भी सीमा विस्तार के बाद निर्णायक की भूमिका में
बिजनौर पालिका का विस्तार दिसंबर 2020 में हुआ है। पहले इस पालिका की आबादी 93 हजार हुआ करती थी लेकिन सीमा विस्तार के बाद आबादी एक लाख 71 हजार हो गई है। पिछले चुनाव में सिर्फ 78000 मतदाताओं पर चुनाव हुआ था। इस बार एक लाख 33 मतदाता चुनाव में भाग लेंगे। वार्ड की संख्या 25 से बढ़कर 32 हो गई है। नए वार्ड के गठन की वजह से भी पुराने सभी वार्ड का परिसीमन बदल गया है। ऐसे में जो लोग पिछले समीकरणों के आधार पर सभासद बनने का सपना देख रहे थे, उनके लिए भी चुनौती बढ़ गई है। निर्वतमान सभासदों का भी खेल बिगड़ गया है, उन्हें भी नए मतदाताओं को लुभाना पड़ेगा। अध्यक्ष पद के दावदारों के लिए भी इस बार राह आसान नहीं होगी क्योकि पहले सिर्फ करीब 70 हजार मतदाताओं तक ही पहुंच बनानी पड़ती थी, अब इन्हें संपर्क का भी दायरा बढ़ाना पड़ेगा।
नई आबादी से निकल रहे नए नेता
जिन गांव की आबादी शामिल हुई है, उनमें जो लोग ग्राम पंचायतों की राजनीति में सक्रिय रहते थे, वो अब नगर पालिका में पहुंच बनाने के लिए चुनावी मैदान में उतरने की सोच रहे हैं। हालांकि अभी प्रमुख पार्टियों ने उम्मीदवार तय नहीं किए है लेकिन यह भी कहना मुश्किल होगा कि अध्यक्ष पद के दावेदार पुरानी आबादी से निकलेंगे या नई आबादी से।