नगीना के समाजवादी पार्टी विधायक मनोज पारस मंगलवार को जिला योजना समिति की बैठक से बीच में ही उठकर चले गए। उन्होंने अधिकारियों पर झूठे आंकड़े पेश करने और जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा का गंभीर आरोप लगाया है।
विधायक पारस का कहना है कि जिला योजना समिति की बैठक हर साल अनिवार्य रूप से होनी चाहिए, लेकिन यह बैठक तीन वर्षों बाद पहली बार आयोजित की गई। उन्होंने सवाल उठाया कि जब नियमों के मुताबिक हर साल बैठक होनी थी, तो इसे इतने सालों तक क्यों टाला गया?
झूठे आंकड़ों पर जताई आपत्ति
विधायक ने सबसे बड़ी आपत्ति इस बात पर जताई कि अधिकारियों ने नगीना नगर के स्कूलों की हालत पर गलत तस्वीर पेश की। बैठक में यह दावा किया गया कि शहरी क्षेत्र के 84 स्कूलों में सभी 14 मूलभूत सुविधाएं 100% उपलब्ध हैं। लेकिन विधायक पारस ने इसका विरोध करते हुए कहा कि उन्होंने खुद नगीना के तीन स्कूलों का निरीक्षण किया, जहां 10% सुविधाएं भी मौजूद नहीं थीं।
उनका आरोप था कि जब उन्होंने यह सच्चाई सामने रखी तो अधिकारियों ने उनकी बात को नजरअंदाज कर दिया। इससे नाराज़ होकर उन्होंने बैठक का बहिष्कार कर दिया।
बिना एजेंडे के बुलाई गई बैठक
मनोज पारस ने बताया कि पहले की बैठकों में जनप्रतिनिधियों से प्रस्ताव लिए जाते थे, और उसी के आधार पर योजनाएं बनती थीं। लेकिन इस बार बिना किसी पूर्व सूचना या एजेंडे के बैठक बुलाई गई, जिससे जाहिर होता है कि जनप्रतिनिधियों की राय को कोई महत्व नहीं दिया जा रहा है।
"सरकारी योजनाओं का झूठा महिमामंडन"
विधायक पारस का कहना है कि यह बैठक जन सरोकारों की जगह सरकारी योजनाओं का झूठा महिमामंडन बनकर रह गई है। उन्होंने कहा, “जब मेरी बात को ही नहीं सुना गया, तो ऐसी बैठक में रहने का कोई औचित्य नहीं था।”
राजनीतिक हलकों में चर्चा तेज
विधायक के इस रुख के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है। जिला प्रशासन की कार्यशैली और जवाबदेही पर सवाल उठने लगे हैं। अब देखना यह होगा कि इस मुद्दे पर प्रशासन की ओर से क्या प्रतिक्रिया दी जाती है।
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