बिजनौर। नई व्यवस्था का असर हो या फेल होने का डर, ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने वालों की भीड़ गायब हो गई है। लाइसेंस के लिए आवेदनों में 20 गुना तक कमी देखी गई है। बीते चार महीनों में राजस्व में भारी गिरावट के आंकड़े इसकी पुष्टि करते हैं।
नई टेस्टिंग प्रणाली ने बदला माहौल
इस साल 22 जनवरी से ड्राइविंग लाइसेंस के लिए टेस्ट की जिम्मेदारी एक निजी कंपनी को सौंपी गई है। कंपनी ने बिजनौर के चांदपुर मार्ग पर ऑटोमेटिक ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक स्थापित किया है। अब लाइसेंस के लिए टेस्ट देने वालों को एआरटीओ कार्यालय के बजाय इस निजी संस्था के दफ्तर जाना पड़ता है। इस बदलाव के बाद से लाइसेंस बनवाने वालों की संख्या में भारी कमी आई है।
एआरटीओ कार्यालय में सन्नाटा
पहले एआरटीओ कार्यालय में ड्राइविंग टेस्ट के लिए रोजाना 150 से अधिक लोग पहुंचते थे। सुबह से शाम तक लंबी कतारें रहती थीं। लेकिन अब नजारा पूरी तरह बदल गया है। एआरटीओ कार्यालय में सन्नाटा पसरा है, और नए ड्राइवरों की भीड़ गायब हो चुकी है।
सूत्रों के अनुसार, अब एक दिन में केवल 7 से 8 ड्राइविंग लाइसेंस ही बन रहे हैं। इसका मुख्य कारण ऑटोमेटिक ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक पर लोगों का बार-बार फेल होना है। फेल होने के डर से कई लोग टेस्ट की तारीख को बार-बार बदल रहे हैं।
राजस्व में भारी गिरावट
लाइसेंस आवेदनों की कमी का असर राजस्व पर भी पड़ा है। लर्निंग लाइसेंस के लिए 350 रुपये और स्थायी लाइसेंस के लिए 1000 रुपये शुल्क लिया जाता है। लेकिन आवेदनों की संख्या घटने से राजस्व भी तेजी से नीचे आ गया है।
राजस्व के आंकड़े (लाख रुपये में)
महीना | 2024 | 2025 |
---|---|---|
फरवरी | 58.58 | 15.66 |
मार्च | 57.76 | 13.77 |
अप्रैल | 49.42 | 18.66 |
मई | 51.71 | 20.77 |
इन आंकड़ों से साफ है कि नई व्यवस्था ने न केवल लाइसेंस प्रक्रिया को प्रभावित किया है, बल्कि सरकारी राजस्व पर भी गहरा असर डाला है।
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