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मायावती लड़ेंगी लोकसभा चुनाव, नगीना लोकसभा सीट तय
राज्यसभा से इस्तीफा देने के बाद फिलहाल किसी भी सदन की सदस्य नहीं बसपा सुप्रीमो मायावती ने अब तय कर लिया है कि वह लोकसभा चुनाव लड़ेंगी। बिजनौर जिला की नगीना सुरक्षित संसदीय सीट से उनका चुनाव लडऩा तय माना जा रहा है।
राजनीति के शिकार, बेचारी गाय और किसान
सियासत के दो पाटों के बीच गाय पिस रही है। गोरक्षा, गोकशी और भीड़ हिंसा के मुद्दे पर सत्ता पक्ष और विपक्ष में तलवारें खिंची रहीं। मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ के सख्त तेवर देख सरकारी अमला गोवंशीय पशुओं के पीछे दौड़ रहा है।
नगीना, सड़कों पर गंदगी, बीमारियों को न्यौता
नगीना की गलियों में आपको इस तरह के नज़ारे आसानी से देखने को मिल जाएँगे, जहाँ नगर पालिका के सफाई कर्मचारी नालिया साफ करके गंदगी को किनारे पर छोड़ देते हैं और गंदगी बाद में नगर पालिका की गाड़ी द्वारा उठा ली जाती है.
भीम आर्मी में गए नेताओं की घर वापसी की तैयारी
लोकसभा चुनाव के नजदीक आते ही बसपा भीम आर्मी को तोड़ने में जुट गई है। भीम आर्मी में शामिल हुए नेताओं को बसपा ने पार्टी में वापस लेना शुरू कर दिया है। नूरपुर क्षेत्र के कद्दावर नेता गौहर इकबाल को बसपा में वापस ले लिया गया। कई ओर नेताओं पर बसपा पार्टी में वापस लेने के लिए डोरे डाल रही है। बसपा नहीं चाहती की भीम आर्मी मजबूत होकर बसपा का विकल्प बने।
नगीना के युवक की मौत
नगीना। क्षेत्र के एक युवक की अहमदाबाद में सड़क दुघर्टना में मौत हो गई। युवक के मौत की सूचना से परिवार में कोहराम मच गया। युवक की अगले महीने शादी होने वाली थी।
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बच्चा लावारिस हालत में मिला
देहरादून पुलिस को एक बच्चा लावारिस हालत में मिला है। वह अपना नाम मोहम्मद शाद, पिता का नाम सलीम हाविजी और मां का नाम फरजाना बता रहा है।
काशीपुर-नगीना बस दुर्घटनाग्रस्त
काशीपुर से नगीना जा रही प्राइवेट बस रायपुरी बार्डर पर दुर्घटनाग्रस्त हो गई।
गंदे पानी में धुल रही सब्जियां
नजीबाबाद: शहर की सीमा से सटकर बहने वाली मालन नदी के गंदे पानी में आसपास खेती करने वाले किसान सब्जियां धो रहे हैं, जिसके बाद यही सब्जियां बाजार ले जाकर बेची जा रही हैं। ऐसे में बीमारियां फैलने की आशंका बनी हुई है।
टूटी सड़कें, 75 दिन, 82 मौतें
डेढ़ साल बाद भी सड़कों के जख्म नहीं भरे गए हैं। जिले की कई सड़कों की हालत बद से बदतर है। सड़कों में गहरे गहरे गड्ढ़े व्यवस्था की पोल खोल रहे हैं। अफसर और नेता इन पर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं। स्थिति यह है कि सड़क हादसों में 75 दिनों में ही 82 से ज्यादा जान जा चुकी हैं। इसके बावजूद भी सड़कों के गड्ढों की अनदेखी की जा रही है।