कोतवाली देहात के गांव राजोपुर सादात निवासी अनीता देवी (49) पत्नी जितेंद्र सिंह को पांच अगस्त को बुखार, जुखाम और खांसी हुआ था। महिला का उपचार बिजनौर के एक प्राइवेट अस्पताल में चल रहा था। जहां से चिकित्सक ने उसको गाजियाबाद के एक निजी अस्पताल रेफर किया था। परिजनों के अनुसार गाजियाबाद के निजी अस्पताल ने उसको स्वाइन फ्लू की पुष्टि करते हुए दिल्ली एम्स ले जाने के लिए कहा था। इसके बाद परिजनों महिला को घर वापस ले आए थे। परिजनों ने उसको फिर से उपचार के लिए सीएचसी कोतवाली में भर्ती कराया। जहां से चिकित्सक ने 21 अगस्त को स्वाइन फ्लू की आशंका जताते हुए जिला अस्पतजाल भेज दिया था। जिला अस्पताल से महिला को मेरठ मेडिकल कॉलेज भेज दिया गया था। परिजनों के मुताबिक गाजियाबाद के निजी अस्पताल में महिला को स्वाइन फ्लू की पुष्ठि हुई है।
रेपिड रेसपोंस टीम भेजकर होगी जांच
सीएमओ डा.राकेश मित्तल ने बताया कि मरीज के गांव रेपिड रेसपोंस टीम भेजकर दूसरे मरीजों को भी खोजा जाएगा। अगर दूसरा कोई रोगी मिलता है तो उसको जिला अस्पताल के वार्ड में अलग से भर्ती कराया जाएगा। साथ ही मरीज के साथ रह रहे परिजनों को भी दवाई दी जाएगी। पता लगाने की कोशिश की जाएगी कि मरीज को किसके संपर्क में आने से बीमारी हुई है।
स्वाइन फ्लू का अलग है वार्ड
सीएमएस डा. राकेश दुबे ने बताया कि जिला अस्पताल में स्वाइन फ्लू के लिए अलग से वार्ड बनाया गया है। मरीजों के लिए दवाई भी पर्याप्त मात्रा में है। सभी सीएचसी-पीएचसी को निर्देश दिए गए है कि स्वाइन फ्लू के लक्षण वाले मरीजों की सूचना तुरंत सीएमओ कार्यालय में बने संक्रमण नियंत्रण कक्ष को दें, ताकि मरीज को समय से उपचार मिल सके।
वायरस से फैलता है स्वाइन फ्लू
जिला अस्पताल के फिजिशियन डा. योगेंद्र तिरखा के मुताबिक स्वाइन फ्लू इंफ्लूएंजा टाइप ए वायरस से फैलने वाली बीमारी है। मनुष्यों में यह वायरस प्राय: जीवित नहंी रह पाता। मगर, यह वायरस एंटीजेनिक शिफ्ट के फलस्वरूप हुए म्यूटेशन के माध्यम से मनुष्यों में न केवल जीवित रहने की क्षमता प्राप्त कर लेता है, वरन मनुष्य से मनुष्य में फैलता हुआ एक समुदाय से दूसरे समुदाय में फैल जाता है।
लक्षण
स्वाइन फ्लू के मरीज को बुखार, जुकाम, खांसी, गले में खरास, सिरदर्द, बदन दर्द, आंखों का लाल होना, सांस फूलना आदि प्रमुख लक्षण है। बच्चों में उल्टी एवं दस्त की शिकायत भी होती है। कमजोर, वृद्ध एवं बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने के कारण रोगी की मौत भी हो सकती है।
बचाव
भीड़ वाले स्थानों पर जाने से बचे। हाथों की सफाई रखें। छींकते समय मुंह पर रुमाल रखें। किसी भी को कार्य करने के बाद हाथ अवश्य ही धोएं। रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लए प्रतिदिन फलों का प्रयोग करें।