नगीना की काष्ठकला के नमूने विदेशों में भी मशहूर हैं। यहां की कारीगरी जैसी दुनिया में कम ही मिसाल देखने को मिलती है। काष्ठ कला का 99 प्रतिशत काम केवल नगीना तहसील में ही होता है। काष्ठकला की नगीना में 800 से ज्यादा इकाईयों में हजारों मजदूर काम करते हैं। काष्ठकला का टर्नओवर करीब 400 करोड़ सालाना का है। यहां की खासियत है कारीगरों द्वारा हाथ की नक्काशी के साथ साथ मशीन का भी इस्तेमाल करके सुंदर व आकर्षक हैंडीक्राफ्ट बनाना। लेकिन जो मजदूर काष्ठकला में छोटी इकाईयों में काम करते हैं वे मशीन चलाने में दक्ष नहीं होते हैं। इसके अलावा हाथ की नक्काशी के काम में भी वे पूरी तरह निपुण नहीं होते हैं।
एक जिला एक उत्पाद योजना में काष्ठकला को शामिल करने के बाद से सरकार कारीगरों को भी प्रशिक्षण दिलाने के प्रति जागरूक है। काष्ठकला से जुड़े कारीगरों को हाथ की नक्काशी के साथ-साथ मशीनों पर भी काम करना सिखाने के लिए दस दिन का प्रशिक्षण दिलाया जाएगा। अब लॉकडाउन लगा होने से दूसरे जिलों से आए मजदूरों के प्रशिक्षण के लिए ज्यादा आवेदन आए हैं। प्रशिक्षण के लिए 300 से ज्यादा कारीगरों ने आवेदन किया है। इन कारीगरों को साक्षात्कार लेकर प्रशिक्षण दिलाया जाएगा।
उपायुक्त उद्योग अमिता वर्मा रस्तोगी का कहना है कि काष्ठकला से जुड़े कामगारों को प्रशिक्षण दिलाया जाएगा। कामगारों की मेहनत से ही काष्ठकला उद्योग पर चमक आती है। अन्य ट्रेड से जुड़े कामगारों को भी प्रशिक्षण दिलाने की योजना चल रही है।