रविवार को दिल्ली की एक बहुमंजिला इमारत में लगी आग में टांडा माईदास निवासी मुशर्रफ की दम घुटने से मौत हो गई थी। वह अनाज मंडी के पास एक फैक्ट्री में बैग बनाने का काम करता था। हादसे के दौरान वह भी साथियों के साथ कमरे में मौजूद था। मरने से पहले मुशर्रफ ने गांव के ही अपने साथी शोभित अग्रवाल उर्फ मोनू से मोबाइल पर बात करके पूरी घटना बताई थी। उसने कहा था कि वह अब जिंदा नहीं बचेगा। उसके बच्चों का ख्याल रखना।
सोमवार रात करीब साढ़े दस बजे मुशर्रफ का शव नगीना देहात थाने के गांव टांडा माईदास में पहुंचा तो परिजनों में कोहराम मच गया। गांव के तमाम लोग वहां इकट्ठा हो गए। मंगलवार सुबह करीब नौ बजे घर से मुशर्रफ का जनाजा उठा। जनाजे के दौरान हर किसी की आंख में आंसू थे। गांव के पास स्थित कब्रिस्तान में मुशर्रफ के शव को दफना दिया गया। मुशर्रफ की मौत से परिजनों व रिश्तेदारों का रो रोकर बुरा हाल है।